10 Hindi Motivational Stories in Hindi :–
Hindi Motivational Stories मोटिवेशनल कहानिया,ये कहानियां उन लोगों की है, जिन्होंने मुश्किलों पर जीत दर्ज की है। अपनी अलग राह बनाई है। इन किरदारों ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसे जानने के बाद आप अपने जीवन की कमियां भी भूल जाएंगे। इनमें से कई ऐसे हैं, जो दिव्यांग हैं, लेकिन उनकी पहचान आज इससे कहीं ज्यादा है। कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने कमियों के बाद भी सोसाइटी के लिए मिसाल पेश की है। हर आम और खास के लिए यह Hindi Motivational Stories किसी प्रेरणा से कम नहीं। सबने साबित किया है-ज़िद हो, तो दुनिया बदलने में देर नहीं लगती।
सबसे पहले जेसिका कॉक्स के बारे में-

1. जेसिका कॉक्स (Jessica Cocks)
बुलंद होसलों की कहानी- best motivational story in hindi

हाथों से नहीं, पैरों से हवा में उड़ान भरती हैं जेसिका- अमेरिका के एरिज़ोना में जन्मी और वहीं रहने वाली जेसिका कोक्स (32) जन्म से अपंग हैं। उनके दोनों हाथ नहीं थे, इसके बावजूद वह पायलट है। बिना हाथों वाली वह दुनिया की पहली पायलट है, जो हाथों से नहीं, पैरों से प्लेन उड़ाती हैं।लेकिन यह कमजोरी ही उनकी ताकत बनी। आज जेसिका वो सभी काम कर सकती हैं और करती हैं, जो आम लोग भी नहीं कर पाते। उनके पास ‘नो रिस्टिक्शन’ ड्राइविंग लाइसेंस है। जिस विमान को जेसिका उड़ाती है उसका नाम ‘एरकूप’ है। जेसिका के पास 89 घंटे विमान उड़ाने का एक्सपीरियंस है।
जेसिका डांसर भी रह चुकी हैं और ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट भी हैं। वे 25 शब्द प्रति मिनट से टाइपिंग भी कर सकती हैं। जेसिका पर एक डॉक्युमेंट्री भी बन चुकी हैं ‘राइट फुटेड’ जिसे डायरेक्ट किया है एमी अवॉर्ड विनर ‘निक स्पार्क’ ने।
2. स्मीनू जिंदल (Sminu Jindal) Hindi Motivational Stories for students
11 साल में खोए थे पैर, आज अपनी कंपनी की MD हैं स्मीनू जिंदल- जिंदल फैमिली की स्मीनू उन दिव्यांगों के लिए आदर्श हैं जो जिंदगी अपनी तरह से जीना चाहते हैं। स्मीनू ने अपनी विकलांगता को अवसर माना और अपनी ऐसी पहचान बनाई कि आज उनकी व्हीलचेयर खुद को लाचार समझती है।आज स्मीनू जिंदल ग्रुप की कंपनी जिंदल सॉ लिमिटेड की एमडी हैं। उनका ‘स्वयं’ एनजीओ भी है। स्मीनू जब 11 साल की थीं, तब जयपुर के महारानी गायत्री देवी स्कूल में पढ़ती थीं। छुट्टियों में दिल्ली वापस आ रही थीं, तभी कार एक्सीडेंट हुआ और वह गंभीर स्पाइनल इंजरी की शिकार हो गई। हादसे के बाद उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया और व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।

स्मीनू बताती हैं, अपने रिहैबिलिटेशन के बाद जब मैं इंडिया वापस आई तो काफी कुछ बदल चुका था। मैंने मायूस होकर पिताजी से कहा था कि मैं स्कूल नहीं जाऊंगी, पर पिताजी ने जोर देकर मुझसे कहा कि तुम्हें अपने बहनों की तरह ही स्कूल जाना पड़ेगा। आज मेरे पति और बच्चों के लिए भी मेरी विकलांगता कोई मायने नहीं रखती।
स्मीनू कहती है- ‘आपको आपका काम स्पेशल बनाता है न कि आपकी स्पेशल कंडीशन। मेरे जैसे जो भी लोग हैं, उन्हें यही कहूंगी- खुद की अलग पहचान बनाने के लिए अपनी कमी को आड़े न आने दें, यही कमी आगे चलकर आपकी बड़ी खासियत बन जाएगी।”
स्मीनू का एनजीओ ‘स्वयं’ आज NDMC, ASI, DTC और दिल्ली शिक्षा विभाग के साथ मिलकर कई काम कर रहा है।
3. ली जुहोंग (Li Zhong)
बचपन में पैर खोए, फिर भी डॉक्टर बनीं, अब इलाज करने रोज करती है पहाड़ पार- चीन के चांगक्वींग की रहने वाली ली जुहोंग जब 4 साल की थीं तो एक रोड एक्सीडेंट दोनों पैर गंवाने पड़े। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पढ़ाई पूरी की और डॉक्टर बन कर आज पहाड़ी गांव में क्लीनिक खोलकर लोगों की सेवा कर रही है।-1983 में एक ट्रक ने ली को टक्कर मार दी। दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए थे।

– डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर जूहोंग के दोनों पैर घुटने के ऊपर से काट दिए।
– ठीक होने के बाद होंगजू ने लकड़ी के स्टूल के सहारे चलना सीखा। शुरुआत में उन्हें लगा कि वह चल नहीं पाएंगी।
– आठ साल की उम्र में चलना सीख लिया। इसके बाद फिर से स्कूल जाना शुरू किया।
– 2000 में स्पेशल वोकेशनल स्कूल में मेडिकल स्टडी के लिए एडमिशन लिया और डिग्री हासिल की।
– इसके बाद गांव वालडियन में क्लीनिक खोलकर ग्रामीणों का इलाज शुरू किया।
– जुहोंग इमरजेंसी कॉल आने पर मरीज को घर पर भी देखने जाती हैं। उन्हें अक्सर ऊंचे-नीचे रास्तों से जाना होता है।
क्लीनिक खोलने के कुछ दिनों बाद ही होंगजू की शिंजियान से मुलाकात हुई। दोनों में प्यार हुआ और फिर शादी कर ली। शिंजियान ने नौकरी छोड़कर घर की पूरी जिम्मेदारी संभाली। शिंजियान पीठ पर बैठाकर जुहोंग को क्लीनिक तक छोड़ने जाते हैं। ली अब तक 1000 से अधिक लोगों का इलाज कर चुकी हैं।
4. मुस्कान अहिरवार (Muskan Ahirwar) Hindi Motivational Stories of famous people : –
9 साल की बच्ची गरीब बच्चों के लिए चलाती है लाइब्रेरी- भोपाल में एक 9 साल की बच्ची मुस्कान अहिरवार गरीब बच्चों के लिए ‘बाल पुस्तकालय’ नाम से एक लाइब्रेरी चलाती है। तीसरी क्लास में पढ़ने वाली मुस्कान के पास फिलहाल 119 किताबें हैं। मुस्कान रोज़ाना इस लाइब्रेरी में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।भोपाल के अरेरा हिल्स के पास बने स्लम एरिया में रहने वाली मुस्कान की मां हाउस वाइफ हैं और पिता बढ़ई। मुस्कान की बड़ी बहन 7वीं में पढ़ती है। लाइब्रेरी के लिए मुस्कान हर दिन 4 बजे शाम में स्कूल से घर आती है फिर उसके बाद अपने घर के बाहर किताबें सजाती हैं और कहानियां सुनाकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

सरकार से मिली मदद
पिछले साल राज्य शिक्षा केंद्र ने उसे 25 किताबें दी थी। इन किताबों की संख्या अब बढ़कर 119 हो गई है। राज्य शिक्षा केंद्र ने अब उसे यह लाइब्रेरी संभालने की जिम्मेदारी दी है। अब मुस्कान और स्लम के बच्चे शिक्षा केंद्र से और किताबों की मांग करने जा रहे हैं, क्योंकि अब तक की सभी किताबें बच्चे पढ़ चुके हैं। शायद मुस्कान भारत की सबसे कम उम्र की लाइब्रेरियन है।
5. रेखा (Rekha) Hindi Motivational Stories of famous people
खेतों में हल चलाकर इस महिला ने बना दिया रिकॉर्ड- पति की असमय मौत के बाद मुरैना जिले में पहाड़गढ़ के पास गांव जलालपुरा की एक महिला ने खेत में खुद हल चलाकर नेशनल रिकॉर्ड बना दिया। उसे समाज के लोग विधवा कहकर घर पर बैठने की हिदायत दे रहे थे लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। आज रेखा अपने खेत में आधुनिक तौर-तरीके से खेती करती हैं और पैदावार भी काफी बढ़ा ली।- महज 1 हेक्टेयर के खेत में 50 क्विंटल बाजरा पैदा कर नया रिकॉर्ड बनाया, क्योंकि अब तक नेशनल एवरेज 15 क्विंटल था।

– रेखा की इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कृषि-कर्मण अवॉर्ड के लिए सम्मानित किया है।
– पति की जब मौत हुई तो समाज ने रेखा को विधवा कह कर घर बैठने की हिदायत दी थी। कंधों पर दो बेटियों और एक बेटे की जिम्मेदारी थी और गुजारे के नाम पर महज 1 हेक्टेयर का खेत। इसी के सहारे परिवार पालना था।
– खुद अपनी खेती को संभालने बाहर निकली तो रेखा को समाज से भी जंग लड़नी पड़ी।
– समाज के असहयोग के चलते कई बार तो गृहस्थी के काम के साथ खुद रेखा को खेतों में हल भी चलाना पड़ा। आखिरकार रेखा की जिद कामयाब हो गई है, अब गांव के लोग भी रेखा पर गर्व कर रहे हैं।
6. रोमन सैनी (Roman Saini) real life inspirational stories in hindi
IAS बने थे रोमन, गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए छोड़ दी नौकरी- राजस्थान के रोमन सैनी यूं तो IAS सिलेक्ट हुए थे, लेकिन गरीब बच्चों को पढ़ाने की इच्छा के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी। ट्रेनिंग के दौरान मप्र के जबलपुर में सहायक कलेक्टर पदस्थ रहे रोमन ने इस्तीफा दे दिया और अब वे दिल्ली में गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों को पढ़ा रहे हैं।- 2014 बैच के आईएएस रोमन राजस्थान के रायकरनपुरा गांव निवासी हैं और महज 23 साल के हैं।

– उन्होंने 16 साल में एम्स में दाखिले का टेस्ट पास किया, जहां 18वीं रैंक आई।
– डॉक्टरी के बाद IAS एक्ज़ाम में बैठे, तो पहली बार में चुने गए।
– रोमन के पिता इंजीनियर और मां हाउस वाइफ हैं।
– उनकी पहली पोस्टिंग जून 2015 में जबलपुर में सहायक कलेक्टर के रूप में हुई थी।
– वह सिर्फ चार महीने ही सर्विस कर पाए और दिल्ली चले गए। वहां से उन्होंने इस्तीफा भेज दिया, जो इसी जनवरी मंजूर हो गया।
रोमन ने एजुकेशन स्टार्ट-अप अन-एकेडमी की शुरुआत की। इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में यू-ट्यूब चैनल के रूप में हुई थी। इसे रोमन के दोस्त गौरव मुंजाल ने बनाया था। रोमन और गौरव 11वीं क्लास में थे, तो साथ ट्यूशन जाते थे। उसी समय उन्हें यह आइडिया आया कि हर बच्चे को अच्छी ट्यूशन मिले। दो और दोस्तों हेमेश और सचिन के साथ मिलकर उन्होंने अन-एकेडमी डॉट इन नाम से वेब प्लैटफॉर्म लॉन्च किया।
7. रंगोली (Rangoli) Hindi Motivational Stories for students
एसिड अटैक के बाद और मजबूत हुईं कंगना की बहन रंगोली- कंगना रनोट को सब जानते हैं, लेकिन हाल ही में दुनिया उनकी बहन रंगोली से मिली। रंगोली 2006 में एसिड अटैक की शिकार हुईं, जिसके बाद उनकी एक-दो नहीं, 57 बार सर्जरी हुई। मंगेतर छोड़ गया, तीन महीने तक आईना नहीं देखा। बावजूद इसके रंगोली ने हिम्मत नहीं हारी और अब वह एक फेमस वुमन्स मैगजीन के कवर पर कंगना के साथ दिखेंगी। जिंदगी को फिर से जीने की ज़िद ही उन्हें यहां तक लेकर आई है।- रंगोली की आंखकी 90% रोशनी चली गई है। उनका ब्रेस्ट खराब हो चुका है।
– कंगना ने बताया, “जब भी मेरे मां-बाप उसकी ओर देखते थे, वे बेहोश हो जाते थे। उसका मंगेतर एयरफोर्स में था, वह भी भाग गया। बाद में उसे चाइल्ड हुड फ्रेंड अजय से प्यार हो गया।
– अजय और रंगोली शादी की प्लानिंग कर रहे थे, तब वह उस दुख से दूर निकल चुकी थी। मैंने उससे पूछा कि अगर यह शादी नहीं हो पाई तो उसने तुरंत जवाब दिया, नहीं होनी होगी, तो नहीं होगी। वह बेहद टफ और इन्स्पिरेशनल थी।”

8. पहड़ा राजा सिमोन उरांव (Jharkhand’s Waterman Simon Oraon) –
जिद ऐसी कि बना दिए तीन बांध,बदल दी 5 गांवों की किस्मत- आप दशरथ मांझी के बारे में तो जानते ही होंगे। झारखंड में भी ऐसा ही कुछ हुआ। यहां एक व्यक्ति ने छोटी-छोटी नहरों को मिलाकर तीन बांध बना डाले। आज इन्हीं बांधों से करीब 5000 फीट लंबी नहर निकालकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा। हम बात कर रहे हैं इसी साल पद्मश्री पाने वाले 83 वर्षीय पहड़ा राजा सिमोन उरांव की।

– पहड़ा राजा का कॉपी-किताब से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं। न कोई तकनीक और न ही हाथ में पैसे।
– उनके पास था तो सिर्फ जिद और कुछ कर गुजरने का जज्बा। सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने की जिद। नारा दिया, जमीन से लड़ो, मनुष्य से नहीं।
– रांची में रहने वाले पहड़ा राजा सिमोन उरांव अब भी कुदाल लेकर कभी खेतों में नजर आते हैं, तो कभी गांव वालों का झगड़ा सुलझाते हुए।
– बाबा के नाम से प्रसिद्ध सिमोन की बनाए बांधों से पांच गांवों की सूरत बदल गई है।
– एक ब्लॉक की यह कहानी पूरे झारखंड के लिए मिसाल बन गई। सिंचाई सुविधा के अभाव में जहां एक फसल के लाले थे, वहां साल में तीन फसलें उगाई जाने लगीं।
रोगियों का करते हैं इलाज –
सिमोन ने ग्रामीणों की आर्थिक समस्याएं दूर करने के लिए फंड बनाया। बैंक में खाता खुलवाया।
– अब ग्रामीणों को जरूरत के समय इसी फंड से 10-10 हजार रुपए की सहायता दी जाती है।
– किसी गरीब की बेटी की शादी हो, तो दो-दो क्विंटल चावल भी दिया जाता है। वे देशी जड़ी-बूटी से रोगियों का इलाज भी करते हैं।
9. सुनील पटेल (Sunil Patel) Hindi Motivational Stories for sales team: –
दिव्यांग है सुनील, फिर भी लेट कर दे रहा बच्चों को फ्री ट्यूशन- एक हादसे में निःशक्त होने के बाद 16 साल से बिस्तर पर ही जिंदगी गुजार रहे सुनील पटेल का हौसला आज भी काबिले-तारीफ है। सुनील बिस्तर पर लेटकर ही 10वीं और 12वीं के बच्चों को फ्री ट्यूशन दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के छोटे- से विकासखंड नगरी के गांव सांकरा छिंदपारा में रहने वाले सुनील बीते 2 साल से गांव के बच्चों को ट्यूशन दे रहे हैं। वे कहते हैं, मैं खुश हूं कि ऐसा कर पा रहा हूं।- सुनील के साथ हादसा सन 2000 में हुआ था। वह अपने दोस्तों के साथ आम तोड़ने गए थे। पेड़ में चढ़कर आम तोड़ते वक्त संतुलन बिगड़ने से वह अचानक जमीन पर गिर गए।

– सुनील के पिता झगरू राम पटेल और मां सरोज बाई ने अपने बेटे के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी।
– 2 एकड़ कृषि भूमि में से आधा एकड़ खेत को बेचकर इलाज में खर्च कर डाला।
– फिर भी डॉक्टरों ने यह जवाब दिया कि सुनील अब जीवनभर चल नहीं पाएगा। मजबूरन सुनील को अपने हालत से समझौता करना पड़ा।
– फिलहाल बोर्ड एग्जाम के चलते ट्यूशन बंद है फिर भी पेपर के बाद बच्चे आते हैं और सुनील उन्हें गाइड करते हैं।
10. चेन जिफेंग (Chain Zifeng) Hindi Motivational Stories for success : –
जन्म से नहीं थे हाथ, पैर की उंगलियों से कमाते हैं आज 3 लाख महीना- चेन जिफेंग के जन्म से ही हाथ नहीं हैं। उसके पेरेंट्स इस बात से परेशान थे कि वह आगे कैसे बढ़ेगा। लेकिन चेन आज सक्सेसफुल ई-कॉमर्स वेबसाइट का मालिक है और उसकी कमाई लाखों में हो रही है। यह सब उसके पैरों की उंगलियों का कमाल है।- चीन में हुबेई प्रॉविन्स के बोडोंग काउंटी में 27 साल का चेन जिफेंग अपनी फैमिली के साथ रहते हैं।

– हाथ न होने के बावजूद उन्होंने पैरों की उंगलियों को ताकत बनाया है। वह रोजमर्रा के सारे काम पैरों से करते हैं।
– वह खाना बनाने से लेकर लकड़ी काटने तक हर काम में पेरेंट्स की मदद करते हैं।
– चेन ने एक ऑनलाइन स्टोर खोला है। इसकी दस दिनों की कमाई 10 हजार युआन यानी एक लाख रुपए हो गई है।
– यह कमाई इस इलाके में एवरेज मंथली सैलरी (41 हजार रु) से भी दोगुनी है।
– वह देर रात तक अपने कस्टमर्स से बात करते हैं और उनके फीडबैक भी लेते हैं।
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